Tuesday, April 30, 2024

Kiraydar ki wife ki mast chudai | karachi sex story

Hi... I am rizwan from karachi... Sex story perhney wale sab larky aor lakion ko mera salam. Me pehly bar aap ko apni sachi kahani sona ra hon agar aap ko passand aaye tu mere ko email zaroor kerna.kahany shroo kerte hain yeh 5 sal pehle ki bat he... Hamara ghar 2 manzil he jis ka oper wala hissa ham ne kerae per diya howa he aor neeche hisse me ham log rehte hain hamaree family me papa mummy aor me hon mery umer 24 sal ki thee jab ye waqia howa hamare oper wali family me husband wife aor un k 2 bache the jin ki umer ek ki 3 sal thee dosre ki 1 sal thee....


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Monday, April 29, 2024

Sexy Dhoban Aur Uska Beta (सेक्सी धोबन और उसका बेटा)

हमारा परिवारिक काम धोबी (वाशमॅन) का है. हम लोग एक छोटे से गाँव में रहते हैं और वहां धोबी का एक ही घर है इसीलिए हम लोग को ही गाँव के सारे कपड़े साफ करने को मिलते थे. मेरे परिवार में मैं , माँ और पिताजी है. मेरी उमर इस समय 15 साल की हो गई थी और मेरा सोलहवां साल चलने लगा था. गाँव के स्कूल में ही पढ़ाई लिखाई चालू थी. हमारा एक छोटा सा खेत था जिस पर पिताजी काम करते थे. मैं और माँ ने कपड़े साफ़ करने का काम संभाल रखा था. कुल मिला कर हम बहुत सुखी सम्पन थे और किसी चीज़ की दिक्कत नही थी. हम दोनो माँ - बेटे हर सप्ताह में दो बार नदी पर जाते थे और सफाई करते थे फिर घर आकर उन कपड़ो की स्त्री कर के उन्हे वापस लौटा कर फिर से पुराने गंदे कपड़े एकत्र कर लेते थे. हर बुधवार और शनिवार को मैं सुबह 9 बजे के समय मैं और माँ एक छोटे से गधे पर पुराने कपड़े लाद कर नदी की ओर निकल पड़ते . हम गाँव के पास बहने वाली नदी में कपड़े ना धो कर गाँव से थोड़ी दूर जा कर सुनसान जगह पर कपड़े धोते थे क्योंकि गाँव के पास वाली नदी पर साफ पानी नही मिलता था और हमेशा भीड़ लगी रहती थी.


मेरी माँ 34-35 साल के उमर की एक बहुत सुंदर गोरी औरत है. ज़यादा लंबी तो नही परन्तु उसकी लंबाई 5 फुट 3 इंच की है और मेरी 5 फुट 7 इंच की है. सबसे आकर्षक उसके मोटे मोटे चुत्तर और नारियल के जैसी स्तन थे ऐसा लगते थे जैसे की ब्लाउज को फाड़ के निकल जाएँगे और भाले की तरह से नुकीले थे. उसके चूतर भी कम सेक्सी नही थे और जब वो चलती थी तो ऐसे मटकते थे कि देखने वाले के उसके हिलते गांड को देख कर हिल जाते थे. पर उस वक़्त मुझे इन बातो का कम ही ज्ञान था फिर भी तोरा बहुत तो गाँव के लड़को की साथ रहने के कारण पता चल ही गया था. और जब भी मैं और माँ कपड़े धोने जाते तो मैं बड़ी खुशी के साथ कपड़े धोने उसके साथ जाता था. जब मा कपड़े को नदी के किनारे धोने के लिए बैठती थी तब वो अपनी साड़ी और पेटिकोट को घुटनो तक उपर उठा लेती थी और फिर पीछे एक पत्थर पर बैठ कर आराम से दोनो टाँगे फैला कर जैसा की औरते पेशाब करने वक़्त करती है कपरो को साफ़ करती थी. मैं भी अपनी लूँगी को जाँघ तक उठा कर कपड़े साफ करता रहता था. इस स्थिति में मा की गोरी गोरी टाँगे मुझे देखने को मिल जाती थी और उसकी साड़ी भी सिमट कर उसके ब्लाउज के बीच में आ जाती थी और उसके मोटे मोटे चुचो के ब्लाउज के उपर से दर्शन होते रहते थे. कई बार उसकी साड़ी जाँघों के उपर तक उठ जाती थी और ऐसे समय में उसकी गोरी गोरी मोटी मोटी केले के तने जैसे चिकनी जाँघो को देख कर मेरा लंड खडा हो जाता था. मेरे मन में कई सवाल उठने लगते फिर मैं अपना सिर झटक कर काम करने लगता था. मैं और माँ कपड़ों की सफाई के साथ-साथ तरह-तरह की गाँव - घर की बाते भी करते जाते कई बार हम उस सुन-सन जगह पर ऐसा कुछ दिख जाता था जिसको देख के हम दोनो एक दूसरे से अपना मुँह छुपाने लगते थे.


कपड़े धोने के बाद हम वही पर नहाते थे और फिर साथ लाए हुआ खाना खा नदी के किनारे सुखाए हुए कपड़े को इकट्ठा कर के घर वापस लौट जाते थे. मैं तो खैर लूँगी पहन कर नदी के अंदर कमर तक पानी में नहाता था, मगर माँ नदी के किनारे ही बैठ कर नहाती थी. नहाने के लिए माँ सबसे पहले अपनी साड़ी उतारती थी. फिर अपने पेटिकोट के नाड़े को खोल कर पेटिकोट उपर को सरका कर अपने दाँत से पकड़ लेती थी इस तरीके से उसकी पीठ तो दिखती थी मगर आगे से ब्लाउज पूरा ढक जाता था फिर वो पेटिकोट को दाँत से पकडे हुए ही अंदर हाथ डाल कर अपने ब्लाउज को खोल कर उतरती थी. और फिर पेटीकोट को छाती के उपर बाँध देती थी जिस से उसके चुचे पूरी तरह से पेटीकोट से ढक जाते थे और कुछ भी नज़र नही आता था और घुटनो तक पूरा बदन ढक जाता था. फिर वो वही पर नदी के किनारे बैठ कर एक बड़े से जग से पानी भर भर के पहले अपने पूरे बदन को रगड़ - रगड़ कर सॉफ करती थी और साबुन लगाती थी फिर नदी में उतर कर नहाती थी. माँ की देखा देखी मैने भी पहले नदी के किनारे बैठ कर अपने बदन को साफ करना शुरू कर दिया. फिर मैं नदी में डुबकी लगा के नहाने लगा. मैं जब साबुन लगाता तो मैं अपने हाथो को अपने लूँगी के घुसा के पूरे लंड आंड गांद पर चारो तरफ घुमा घुमा के साबुन लगा के सफाई करता था क्यों मैं भी माँ की तरह बहुत सफाई पसंद था. जब मैं ऐसा कर रहा होता तो मैने कई बार देखा की मा बड़े गौर से मुझे देखती रहती थी और अपने पैर की एडियाँ पत्थर पर धीरे धीरे रगड़ के सॉफ करती होती. मैं सोचता था वो शायद इसलिए देखती है की मैं ठीक से सफाई करता हू या नही. इसलिए मैं भी बारे आराम से खूब दिखा दिखा के साबुन लगता था की कही डांट ना सुनने को मिल जाए कि ठीक से सॉफ सफाई का ध्यान नही रखता हू . मैं अपने लूँगी के भीतर पूरा हाथ डाल के अपने लंड को अच्छे तरीके से साफ करता था इस काम में मैने नोटीस किया कि कई बार मेरी लूँगी भी इधर उधर हो जाती थी जिससे मा को मेरे लंड की एक आध झलक भी दिख जाती थी. जब पहली बार ऐसा हुआ तो मुझे लगा की शायद मा डाटेंगी मगर ऐसा कुछ नही हुआ. तब निश्चिंत हो गया और मज़े से अपना पूरा ध्यान सॉफ सफाई पर लगाने लगा.


माँ की सुंदरता देख कर मेरा भी मन कई बार ललचा जाता था और मैं भी चाहता था की मैं उसे साफाई करते हुए देखु पर वो ज्यादा कुछ देखने नही देती थी और घुटनो तक की सफाई करती थी और फिर बड़ी सावधानी से अपने हाथो को अपने पेटीकोट के अंदर ले जा कर अपनी चूत की सफाई करती जैसे ही मैं उसकी ओर देखता तो वो अपना हाथ पेटीकोट में से निकल कर अपने हाथो की सफाई में जुट जाती थी. इसीलिए मैं कुछ नही देख पता था और चुकी वो घुटनो को मोड़ के अपने छाती से सताए हुए होती थी इसीलये पेटिकोट के उपर से छाती की झलक मिलनी चाहिए वो भी नही मिल पाती थी. इसी तरह जब वो अपने पेटिकोट के अंदर हाथ घुसा कर अपने जाँघों और उसके बीच की सफाई करती थी ये ध्यान रखती की मैं उसे देख रहा हू या नही. जैसे ही मैं उसकी ओर घूमता वो झट से अपना हाथ निकाल लेती थी और अपने बदन पर पानी डालने लगती थी. मैं मन मसोस के रह जाता था.


एक दिन सफाई करते करते मा का ध्यान शायद मेरी तरफ से हट गया था और बरे आराम से अपने पेटिकोट को अपने जाँघों तक उठा के सफाई कर रही थी. उसकी गोरी चिकनी जाँघों को देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा और मैं जो की इस वक़्त अपनी लूँगी को ढीला कर के अपने हाथो को लूँगी के अंदर डाल कर अपने लंड की सफाई कर रहा था धीरे धीरे अपने लंड को मसल्ने लगा. तभी अचानक मा की नज़र मेरे उपर गई और उसने अपना हाथ निकल लिया और अपने बदन पर पानी डालती हुई बोली "क्या कर रहा है जल्दी से नहा के काम ख़तम कर" मेरे तो होश ही उर गये और मैं जल्दी से नदी में जाने के लिए उठ कर खड़ा हो गया, पर मुझे इस बात का तो ध्यान ही नही रहा की मेरी लूँगी तो खुली हुई है और मेरी लूँगी सरसारते हुए नीचे गिर गई. मेरा पूरा बदन नंगा हो गया और मेरा 8.5 इंच का लंड जो की पूरी तरह से खड़ा था धूप की रोशनी में नज़र आने लगा. मैने देखा की मा एक पल के लिए चकित हो कर मेरे पूरे बदन और नंगे लंड की ओर देखती रह गई मैने जल्दी से अपनी लूँगी उठाई और चुपचाप पानी में घुस गया. मुझे बड़ा डर लग रहा था की अब क्या होगा अब तो पक्की डाँट पड़ेगी और मैने कनखियो से मा की ओर देखा तो पाया की वो अपने सिर को नीचे किया हल्के हल्के मुस्कुरा रही है और अपने पैरो पर अपने हाथ चला के सफाई कर रही है. मैं ने राहत की सांस ली. और चुपचाप नहाने लगा. उस दिन हम जायदातर चुप चाप ही रहे. घर वापस लौटते वक़्त भी मा ज़यादा नही बोली.


दूसरे दिन से मैने देखा की मा मेरे साथ कुछ ज्यादा ही खुल कर हँसी मज़ाक करती रहती थी और हमारे बीच डबल मीनिंग में भी बाते होने लगी थी. पता नही मा को पता था या नही पर मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मैने जब भी किसी के घर से कपडे ले कर वापस लौटता तो 

माँ बोलती "क्यों राधिया के कपडे भी लाया है धोने के लिए क्या"? और पढ़ें

Padosee aantee ko nangee dekhakar unhen chodane ka man karata tha

मेरा नाम  मुरारी है. मैं गाँव का  जुड़ी हुई बातें  साल का देसी लड़का हूँ; भरपेट भोजन पाने के कारण मैं बैल के समान हो गया हूँ। मेरी लम्बाई देख कर गाँव की औरतें और लड़कियाँ मुझसे चुदवाने के लिए लालायित रहती हैं।

मैंने अब तक कई चूतों को फाड़ा है. अगर गांव के नवजात बच्चों का डीएनए टेस्ट कराया जाए तो आधे से ज्यादा बच्चे मेरे बीज से पैदा हुए पाए जाएंगे। यह आंटी सेक्स स्टोरी इन हिंदी मेरी सेक्स लाइफ की शुरुआत है. उस समय तक मैंने किसी को नहीं चोदा था.

मुझे पता था कि कई भाभियाँ और आंटियाँ मुझे अपने साथ सुलाना चाहती थीं। मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती थीं. उनके साथ हमारे अच्छे रिश्ते थे. मेरा उसके घर आना-जाना था. मैं कई बार उनके घर में ही सो जाता था.

चूँकि गाँव में इस बात को बुरा नहीं माना जाता.. और ये मेरे पड़ोस का मामला था तो मुझे बहुत छूट मिल गयी। मेरे बगल वाली आंटी का फिगर 34-30-36 था. उसके बहुत मस्त स्तन और उठी हुई गांड थी.




एक बार मैं आंटी के घर गया, आंटी नहाने जा रही थीं। जब आंटी ने मुझे आते देखा तो मुझसे पूछा- सोहन, तुम्हें क्या काम है? मैंने कहा- कुछ नहीं, बस ऐसे ही आ गया.

आंटी ने कहा- ठीक है तुम अभी बाहर जाओ, मुझे नहाना है. मैंने कहा- आंटी, मैं ऊपर छत पर जा रहा हूं. आंटी बोलीं- हां ठीक है जाओ. 

आंटी के घर में बाथरूम नहीं था. वह अपने आंगन में लगे हैंडपंप पर ही नहाती थी। मैं ऊपर आ गया था. आंटी की छत पर जाल लगा हुआ था. इसे सूर्य की रोशनी और ताजी हवा की अनुमति के लिए स्थापित किया गया था। मैं छुप कर नेट के पास बैठ गया और आंटी को देखने लगा.

कुछ देर बाद आंटी अपने कपड़े उतारने लगीं. पहले आंटी ने अपना ब्लाउज खोला, फिर पेटीकोट खोला. अब आंटी ब्रा और पैंटी में थीं. कुछ देर बाद आंटी ने ब्रा और पैंटी भी उतार दी. अब आंटी पूरी नंगी होकर नहा रही थीं. मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. आज पहली बार मैं आंटी को नंगी देख रहा था।

उसके चूचे और गांड बहुत अच्छे लग रहे थे. आंटी का माल एकदम कमाल का लग रहा था. मेरा मन कर रहा था कि अभी नीचे जाकर आंटी को चोद दूं. लेकिन लंड हिलाने के अलावा कुछ नहीं कर सका. कुछ देर बाद आंटी ने नहा लिया और कपड़े भी पहन लिए.

तभी आंटी ने मुझे आवाज दी- नीचे आ जाओ. मैं नहा चुका हूं. मैं नीचे आ गया और आंटी के सामने खड़ा हो गया. मेरा लंड एकदम तनकर खड़ा था. आंटी मेरे लंड की तरफ देखने लगीं. उसने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा और पूछा- ये क्या है? मेंने कुछ नहीं कहा।

ये कह कर मैं शरमा गया और अपने घर भाग गया. आंटी जोर जोर से हंसने लगीं. उसकी हंसी की आवाज मेरे कानों में एक अजीब सा एहसास पैदा कर रही थी. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ. लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था.

घर में घुसते ही मैं बाथरूम में चला गया और अन्दर मुठ मारने लगा. उस वक्त मेरी आंखें बंद थीं और मेरे सामने सिर्फ आंटी की नंगी जवानी दिख रही थी. हस्तमैथुन करने के बाद लिंग शांत हो गया. फिर मैं नहाने चला गया और नहाने के कुछ देर बाद मैं फिर से आंटी के घर आ गया.

आंटी ने मुझसे पूछा- अब क्या हुआ सोहन? मैंने कहा- कुछ नहीं आंटी, मैं आपसे मिलने आया हूं. आंटी हंस कर बोलीं- ठीक है, बैठ जाओ. फिर मैंने आंटी से कहा- आप मुझे बहुत पसंद हो. आंटी बोलीं- ठीक है. तो क्या इसीलिए तुम मुझसे मिलने आते हो? मैंने कोई जवाब नहीं दिया।

कुछ देर बाद आंटी हंस पड़ीं और बोलीं- तुम आकर कर लो. मुझे भी तुम्हारा आना अच्छा लगता है. अब मैं रोज आंटी के घर जाने लगा और आंटी के साथ कैरम बोर्ड खेलने लगा. एक दिन आंटी के पति यानि अंकल हिमाचल में काम पर गये।




ये कह कर मैं शरमा गया और अपने घर भाग गया. आंटी जोर जोर से हंसने लगीं. उसकी हंसी की आवाज मेरे कानों में एक अजीब सा एहसास पैदा कर रही थी. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ. लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था.

घर में घुसते ही मैं बाथरूम में चला गया और अन्दर मुठ मारने लगा. उस वक्त मेरी आंखें बंद थीं और मेरे सामने सिर्फ आंटी की नंगी जवानी दिख रही थी. हस्तमैथुन करने के बाद लिंग शांत हो गया. फिर मैं नहाने चला गया और नहाने के कुछ देर बाद मैं फिर से आंटी के घर आ गया.

आंटी ने मुझसे पूछा- अब क्या हुआ सोहन? मैंने कहा- कुछ नहीं आंटी, मैं आपसे मिलने आया हूं. आंटी हंस कर बोलीं- ठीक है, बैठ जाओ. फिर मैंने आंटी से कहा- आप मुझे बहुत पसंद हो. आंटी बोलीं- ठीक है. तो क्या इसीलिए तुम मुझसे मिलने आते हो? मैंने कोई जवाब नहीं दिया।

कुछ देर बाद आंटी हंस पड़ीं और बोलीं- तुम आकर कर लो. मुझे भी तुम्हारा आना अच्छा लगता है. अब मैं रोज आंटी के घर जाने लगा और आंटी के साथ कैरम बोर्ड खेलने लगा. एक दिन आंटी के पति यानि अंकल हिमाचल में काम पर गये।

मैं आंटी के घर गया. आंटी बोलीं- सोहन, आज तुम्हारे अंकल हिमाचल गये हैं. अब तुम रात को मेरे घर में सो जाना. मुझे मौका मिल गया. मैंने कहा- ठीक है आंटी जैसा आप कहें. घर जाकर मैंने अपने घर वालों को बताया कि मुझे सोने के लिए आंटी के घर जाना है.

घरवाले कुछ नहीं बोले. कुछ देर बाद रात हो गयी. मैं आंटी के घर आ गया. उस समय रात के दस बजे थे. आंटी के घर में दो कमरे थे. आंटी ने मेरे लिए एक कमरे में सोने की व्यवस्था कर दी थी. मैं लेट गया और फोन चलाने लगा. Read More



Padosan bhaabhi ki choot ki chudaee

दोस्तो, मैं रोहित महाराष्ट्र से हूँ। मैं एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूँ और मेरी उम्र 29 साल है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ… इस पर रोजाना अपडेट होने वाली सभी सेक्स कहानियाँ पढ़ता हूँ और हर सेक्स कहानी का आनन्द भी लेता हूँ।

आज मैं अपनी एक सच्ची घटना इस इंडियन भाभी पोर्न स्टोरी के रूप में आपके बीच प्रस्तुत कर रहा हूँ. मेरा लिंग भारतीय मर्दों जैसा ही है.. यानि न ज्यादा बड़ा, न ज्यादा छोटा। लेकिन मैं जिस भी भाभी या लड़की को चोदता हूँ, उसे चोदने के साथ-साथ उसकी चीखें भी निकालता हूँ और उसकी चूत को पूरी तरह से कामोत्तेजक बना देता हूँ।

ये सेक्स कहानी करीब 10 साल पहले की है, जब मैं जवान हुआ ही था. उस समय मैं एक छोटे से गांव में रहता था, जहां ज्यादा संसाधन नहीं थे. हम लोग गांव में जहां भी टीवी मिलता था, वहां टीवी देखने चले जाते थे।

बात तब की है जब हमारे गाँव में सोफिया नाम की एक भाभी आई, जिसके घर में शादी के दहेज में एक टीवी भी आया था। चूंकि वह मेरी पड़ोसी थी, इसलिए मुझे वहां जाकर टीवी देखने की विशेष अनुमति थी। इसके बदले में मुझे बाज़ार से उसका कुछ सामान लाना पड़ता था, जिसके बारे में वह मुझे बताती थी।





सोफिया दिखने में थोड़ी सांवली थी, लेकिन उसका रंग बहुत गोरा था। ऐसा लग रहा था कि भाभी की गांड इतनी फूली हुई थी कि क्या बताऊं. वो अपनी गांड ऐसे हिलाती थी कि एक डांस से ही किसी का भी लंड खड़ा हो जाये.

मुझे सेक्स का ज्ञान जल्दी ही मिल गया। यह जानकारी मिलते ही मैं अपने एक दोस्त के साथ गांड चुदाई का मजा लेने लगा. ऐसे ही समय बीतता गया और मैं रोज भाभी के घर टीवी देखने जाने लगा. भाभी ने भाई के लंड से एक लड़के को भी जन्म दिया था, जो दो साल का था.

लड़का होने के कारण भाभी और भी उत्तेजित हो गयीं, उनके स्तन भी रसीले हो गये। जब भी वो कोई काम करती थी तो मैं उसे देख कर अपना लंड सहलाता था और उसके नाम से हस्तमैथुन भी करता था. भाभी का पति भी पूरा बेवकूफ था, वो ज्यादा कुछ नहीं कमाता था, बस जुआ खेलने और शराब पीने में अपना जीवन बर्बाद कर रहा था।

उसकी भाभी का कमरा ज्यादा बड़ा नहीं था. उनके कमरे का साइज 10×10 रहा होगा. भाभी एक स्कूल में नौकरी करने लगीं तो उन्हें वहीं से आमदनी होने लगी. कुछ दिनों बाद भाभी का अपने पति से झगड़ा हो गया और अब वह अपने पति से अलग कमरे में रहने लगी।

इस बीच मेरा भाभी के घर आना-जाना ज्यादा हो गया था. कभी-कभी मैं देर रात तक उनके यहाँ टीवी देखता रहता था और भाभी भी मुझे कहती थी कि जब उन्हें जाना हो तो मुझे जगा देना। मैं दरवाज़ा बंद करने के लिए उठूंगा.

एक दिन की बात है। हर दिन की तरह भाभी को नींद आ गयी थी. वो मुझसे कहकर सोने चली गयी और मैं टीवी देख रहा था. उसमें ‘आशिक बनाया आपने’ फिल्म चल रही थी। रात के 11 बज चुके थे. भाभी भी गांड उठा कर सो रही थीं.

फिल्म के हॉट सीन मुझे बार-बार भाभी की साड़ी की तरफ भटकने पर मजबूर कर रहे थे। भाभी मुझसे दो फीट की दूरी पर सो रही थीं. मैंने भी मूवी देखने के बाद अपने लंड को सहला कर टाइट कर लिया था और मन बना लिया था कि आज भाभी के घर पर देर तक रुकूंगा और उनको चोदूंगा.

जैसे ही मैंने लेटने की कोशिश की, भाभी पेशाब करने के लिए उठ गईं. उस समय गाँव में कोई बाथरूम नहीं था तो भाभी घर के बाहर जाकर पेशाब करने लगी और मैंने धीरे से दरवाज़ा खोला और पहली बार भाभी की गांड देखी.. जो दिखने में बहुत गरम और बड़ी थी।

जब भाभी पेशाब करके उठीं तो मैं जल्दी से अन्दर चला गया. उसने आकर मुझसे पूछा- क्या तुम्हें सोना नहीं है? बहुत रात हो गयी है. अभी भी टीवी देख रहा हूँ! मैंने कहा- भाभी आप सो जाओ, अगर आप कहो तो मैं भी लेट जाऊँगा।

पता नहीं मेरे मुँह से यह बात कैसे निकल गई और कमाल की बात यह कि भाभी ने भी हाँ कह दी- ठीक है, आओ मेरे पास लेट जाओ। मैं भी बिना कुछ सोचे या कहे भाभी के साथ लेट गया. मैं उससे बस एक फुट की दूरी पर लेट गया.

कुछ देर बाद भाभी सो गईं तो मूवी देखते-देखते मैंने अपने लंड को फिर से सहलाया और टाइट कर लिया. इस बार मैंने हिम्मत जुटाई और अपने पैर भाभी के पैरों के पास ले गया और उनके पैरों पर रख दिए. भाभी गहरी नींद में थी.



मैंने धीरे-धीरे अपने पैर थोड़े ऊपर उठाये और उनकी साड़ी थोड़ी ऊपर यानि घुटनों तक हो गयी। मैं कुछ देर तक ऐसे ही लेटा रहा और आंखें बंद कर लीं और ऐसा नाटक करने लगा जैसे मैं सो रहा हूं.

फिर मैंने अपना हाथ भाभी की गांड पर रख दिया. इससे भाभी थोड़ी हिलीं लेकिन कोई खास फर्क नहीं पड़ा. इस बार दस मिनट के बाद मैंने भाभी की साड़ी को अपने हाथों से थोड़ा ऊपर उठाया, लेकिन वो थोड़ा ही ऊपर उठ सकी.

मैं भाभी के आने का इंतज़ार कर रहा था ताकि मैं मौका ले सकूं. मैंने उसकी गांड को थोड़ा दबाया जिससे मुझे उसकी तरफ से कोई विरोध नहीं मिला. इससे मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गयी. फिर मैंने ऊपर की तरफ देखा.


Jangal ka pyaar – Savita bhabhi

सविता की कंपनी जंगल में स्थित मृंगो जनजाति की जमीन खरीदकर उस पर विकास करना चाहती है।

हमेशा की तरह सविता ने इस प्रोजेक्ट पर काम करने का मौका पाने के लिए अपने बॉस को खुश किया।


तो सविता को मृंगो कबीले को समझाने के लिए जंगल भेजा गया।

चंद्र उत्सव के अवसर पर कबीले का मुखिया ने सविता का स्वागत किया।


तब सविता आदिवासियों के रीति-रिवाज, नग्नता और खुलेपन को देखकर दंग रह गई।




अगली सुबह जब सविता नहाने के लिए नदी किनारे गई तो एक अज्ञात हृष्ट-पुष्ट जंगली आदमी ने उसे मगरमच्छ के हमले से बाल-बाल बचा लिया।

सविता उसकी शारीरिक बनावट से इतनी प्रभावित हो गई कि वह उसे सेक्स के लिए उत्तेजित करने लगी।

वह उसके बड़े लंड को सहलाकर खड़ा करने लगी।

लेकिन इस आदमी ने आज तक कभी सेक्स नहीं किया था. उसने कभी किसी औरत की चूत भी नहीं देखी थी.

फिर सविता उसे सेक्स करना कैसे सिखाया?

क्या जानवरों के बीच रहने वाला यह आदमी सविता के साथ सभ्य यौन संबंध बना पाएगा? या फिर उसे जानवरों की तरह चोदेगा?

आदिवासियों से ज़मीन का सौदा करने आई सविता का मन क्यों बदल जाता है?

यह सब जानने के लिए, सविता भाभी वीडियो एपिसोड 67 देखें- जंगल में प्यार! Read More


Friday, April 26, 2024

Savita Bhabhi Chudakkad Bani

32 saal ki Savita bhabhi aksar dopahar ko apne ghar Sumit  (18 yrs) ko bula leti hai, aur wosko seduce karne ki kosish karti hai. Savita bhabhi ki kamzori jawan lund tha. woh jawan lund ko kisi v tarah se apni chut main lena chahti hai. Sumit sidha sadha ladka tha, kuch samajh nahi pata tha ki kiyo Savita bhabhi kabhi sleevless blouse bina bra ke pahan kar ghumti hai, to kabhi petiocott aur blouse main hi woske samne khumti rahti hai.


Sumit apni best friend Vinod ko sab bola karta tha jo kuch bhi woh Savita bhabhi ke ghar dekhta tha. Vinod 20 saal ka randibaaz ladka tha. khub blue film dekhta tha aur randi choda karta tha. woh samajh jata hai ki Savita bhabhi raj se chut marwana chahti hai. Vinod plan banata hai.


Woh Sumit ko samjha deta hai ki Savita bhabhi wosse kya chahti hai aur woh wosko instruct karka hai ki jab woh kaal woske ghar jaye to bedroom ke pichey wala window khula rakhe. Vinod ka plan tha window se woh Savita bhabhi ki chudai ka video banayega. Sumit ko yeh pata nahi tha. Sumit ko sirf yeh bataya ki agar kuch gadbar huwa, ya koi agaya to woh window se bhag sakta hai. Vinod ne yeh v kaha ki woh window ke pichey apna Bike ready rakhega. Sumit ko plan acha lagta hai aur woh Vinod ki baat maan jata hai.




Agley din Savita bhabhi ko pehli bar chudai ki nazro se Sumit dekhne lagta hai. Savita bhabhi ki badi badi chuchiyo par pehli bar hawas ka nazar dalta hai. Sleevless deep neck wali blouse main Savita bhabhi ki chuchiyo ko dhyan se dekhta hai to wosko pata chalta hai ki bhabhi ne bra nahi pehni hai aur woski chuchiya lagbhag 40% nangi hai. Savita bhabhi ki 39 size ki gaand ko dekhta hai to woh machal uthta hai.


Savita bhabhi-Sumit baitho, main jara room main pocha laga lu.


Savita bhabhi pocha lagati rahti hai, aur Sumit kabhi woski chuchiyo ko to kabhi woski badi mast gaand ko dekhne lagta hai. Savita bhabhi thodi der main gharmi ka bahana karke apna saree utar deti hai. Savita--aaj bahut garmi hai. Savita bhabhi ki peticoatt ka side cut bahut jyada gehra tha, side se woski gori mansal thigh taak dikh rahi thi. Sumit exited hota ja raha tha.


Savita bhabhi table ke nichey pocha laga rahi hoti hai, bilkul doggy pose main, mano woh Sumit ko invite kar rahi ho ki ao, meri peticoatt upar uthao aur mujhe kutiya ki tarah chodo. Sumit savita bhabhi ki gaand ko dekh kar samajh gaya tha ki peticoatt ke under panty nahi hai.


tabhi savita bhabhi bolti hai--oyiii maa, Sumit mujhe machar ne kata. (apni gaand ke taraf ishara karke bolti hai) pls yaha khujla do, mere haath giley hai.


Sumit Savita bhabhi ke pichey baith jata hai aur darta aur sharmata huwa woski right chuttar ko dhirey dhirey khujlane lagta hai. Savita bhabhi--aaaahhhh...thnx Sumit, aacha kar rahe ho, khujao pls.


Sumit khujata rahta hai. Savita bhabhi--left side main bhi kata, waha bhi khuja do pls.


Sumit left chuttar ko khujane lagta hai aur ab khujane ke saath saath savita bhabhi ki mast mansal gaand ko dabne bhi lagta hai. Savita bhabhi--haan Sumit, dabtey huwey khujatey raho. aaahhhh...tum acha kar rahe ho.


Sumit savita bhabhi ki mast gaand ko dabne lagta hai, woska darr dhirey dhirey khatam hongey laga hai aur woh bebak ho kar savita bhabhi ki colony ki sabse popular gaand ko khub dil laga kar dabne lagta hai. Savita bhabhi dhirey se apni tangey aur phela deti hai aur apni gaand ko achi tarah se khol deti hai. "Sumit, bich main bhi khujli ho rahi hai, bich main bhi khuja do pls."Read More

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